Dr. Vashisth

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इस काबिल नहीं हो तुम

दर्द की इंतेहा के मझदार में भी
बन पाए मेरे साहिल नहीं हो तुम
मेरे अश्क बहें तेरी खातिर बेतहाशा
माफ़ करना इस काबिल नहीं हो तुम!



नैनो में प्रेम पिपासा नहीं है
तुझसे अब कोई आशा नहीं है
अपने मद में चूर रहने वाले को
समझनी प्रेम की भाषा नहीं है
मेरी आंखों में देख समझ न पाओ
इतने भी तो जाहिल नहीं हो तुम!
मेरे अश्क बहें तेरी खातिर बेतहाशा
माफ़ करना इस काबिल नहीं हो तुम!



तेरी यादों के हवाले कर डाला खुद को
जानती हूं कैसे मैने संभाला खुद को?
टीस है दिल में तेरे दिए हर जख्म कि
नासमझी में जो मैने दे डाला खुद को
मुश्किल है यकीन दिलाना खुद को
की मेरी जिंदगी में शामिल नहीं हो तुम
मेरे अश्क बहें तेरी खातिर बेतहाशा
माफ़ करना इस काबिल नहीं हो तुम


नींद भी तो तुझे समर्पित थी 
मैं तो बस तुझे ही अर्पित थी 
तेरे गुस्से ने रोज रुलाया था मुझे 
मैं तो उन आंसुओं में भी हर्षित थी
तनहाई की आग में झुलसने को छोड़ा
खुद बच जाओगे इतने माहिर नहीं हो तुम
मेरे अश्क बहें तेरी खातिर बेतहाशा
माफ़ करना इस काबिल नहीं हो तुम! 

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1 Comments

kapil sharma

23-Mar-2021 12:09 PM

best line mam ,

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